...तो क्या अभी तक कोटेदार कर रहा हैं सरकारी राशन की बिक्री ??
लेकिन यदि वो मर चुका है लगभग तीन चार साल पहले तो कौन कर रहा है उसके नाम का बेजा इस्तेमाल ??
जब तथाकथित कोटेदार को आवंटित किया गया था सरकारी राशन वितरण का लाइसेंस,तो क्या खुले आसमान में मिला था वितरण करने का लाइसेंस और होता रहा सड़क पर ही राशन वितरण ??
शहर सुल्तानपुर/ जब तथाकथित कोटेदार को आवंटित किया गया था सरकारी राशन वितरण का लाइसेंस,तो क्या खुले आसमान में मिला था वितरण करने का लाइसेंस और होता रहा सड़क पर ही राशन वितरण ??
सबसे बड़ी और अहम बात अब ये है कि जब उस कोटेदार की मृत्यु लगभग 3,4 साल पहले हो चुकी हैं तो कौन उसके नाम का इस्तेमाल कर,कर रहा सरकारी राशन की कालाबाज़ारी और राशन का नहीं दिखता एक भी दाना,क्या सब चिड़िया चुग गई या आसमान ने निगल लिया ??
आखिर जब दिवालो पर अंकित है सारी डिटेल तो कहाँ हैं वह कोटेदार अब ग़रीबो का राशन कहाँ जा रहा है कौन है जो सरकारी राशन की दुकान बता खा रहा है ग़रीबो के हक़ का राशन ??
आखिर जिले के ईमानदार जिला अधिकारी महोदया को कौन कर रहा है गुमराह,अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने क्यों नहीं लिया संज्ञान और क्यों नहीं कराया गया जिले की ईमानदार जिला अधिकारी को इस बारे में अवगत ??
हाँ यदि किसी कोटेदार की मृत्यु के पश्चात वरास्तान स्वयं दर्ज हो जाती हैं राशन वितरण प्रणाली की व्यवस्था तो अलग बात है ???
लेकिन इसके पश्चात राशन का दाना तो दिखना चाहिए,फिर भी वो नहीं दिख रहा,अब इसे क्या कहेंगें,आखिर ये कौन सी वितरण प्रणाली व्यवस्था....???
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