हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया-सीएम योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को बजट सत्र में कहा कि हमने जो संकल्प लिया, उसकी सिद्धि हुई, जो कहा, वो हमने कर के दिखाया है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी 2024 की घटना को ही देखा है जिससे पूरा देश अभिभूत था.योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 500 साल के संघर्ष का समाधान निकला, देश की जनभावनाओं के अनुरुप वहां मंदिर बना है. जो संकल्प लिया उसकी सिद्धि हुई, जो कहा वो हमने करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया, हम केवल बोलते नहीं है; करते भी हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज देश- दुनिया के लोग यूपी आ रहे हैं. यूपी के नौजवान को बाहर पहले नौकरी नहीं मिलती थी. किराए के कमरे तो दूर होटल तक में भी कमरे नहीं मिलते थे. आज उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी 2024 की घटना को ही देखा है जिससे पूरा देश अभिभूत था, सत्य और न्याय का पक्षधर खुश था गौरवांवित थे सभी के चेहरे पर संतोष का भाव था. योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में बोल रहे थे. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 500 साल के संघर्ष का समाधान निकला, देश की जनभावनाओं के अनुरुप वहां मंदिर बना है. जो संकल्प लिया उसकी सिद्धि हुई, जो कहा वो हमने करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि हमने वचन निभाया और मंदिर वहीं बनाया, हम केवल बोलते नहीं है; करते भी हैं. उन्होंने कहा कि महाभारत रचने वाले वेदव्यास की पीड़ा थी कि बाहें उठाकर मैं लोगों को समझा रहा हूं कि धर्म से ही अर्थ और काम की प्राप्ति होती है इसलिए क्यों नहीं धर्म के मार्ग पर चलते हो. ये केवल वेद व्यास की ही पीड़ा नहीं थी, 2014 के पहले पूरे देश की और 2017 के पहले पूरे प्रदेश की भी यही पीड़ा थी.
कभी उत्तर प्रदेश के युवा अपनी पहचान को छिपाने के लिए मजबूर थे…
सीएम योगी ने कहा कि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश को जिन लोगों ने चार-चार बार प्रदेश में शासन किया, लंबे समय तक सत्ता पर विराजमान रहे उन्होंने यूपी के लोगों के सामने पहचान का संकट खड़ा कर दिया था. यहां का नौजवान पहचान छिपाने के लिए मजबूर था. यूपी में नौकरी नहीं थी, और यूपी वालों को तो बाहर भी नौकरी नहीं मिलती थी. यूपी का नाम सुनकर किराये के कमरे तो दूर होटल और धर्मशालाओं में भी जगह नहीं मिलती थी.
पहले अयोध्या और ऐसा ही काशी- मथुरा के साथ हुआ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब हमें महाभारत की याद आती है, एक बार कृष्ण गए थे दुर्योधन के पास. उन्होंने कहा था कि दे दो हमको 5 गांव, रखो अपनी धरती तमाम लेकिन दुर्योधन वह भी दे न सका; और आशीष समाज की ले न सका. उसने तो भगवान कृष्ण को बंधक बनाने का प्रयास किया था. यही तो हुआ था हमारी अयोध्या के साथ. और ऐसा ही काशी- मथुरा के साथ हुआ. यहां कोई समाज, यहां की आस्था केवल तीन के लिए बात कर रही है. केवल उन तीन स्थानों के लिए भी क्योंकि वे विशिष्ट स्थल हैं. ईश्वर की अवतरण की धरती है. वह सामान्य नहीं है लेकिन एक जिद है. उस जिद में जब राजनैतिक तड़का पड़ने लगता है तो वहीं से फिर विवाद की स्थिति खड़ी होने लगती है.
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