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क्या होती है आदर्श आचार संहिता, सोशल मीडिया पर गलत सूचना और भड़काऊ पोस्ट की तो होगी कार्रवाई...

किसी भी प्रकार की सूचना एवं समाचार की आधिकारिक पुष्टि किए बिना विश्वास ना करें, अफवाहों को प्रसारित ना करें,सोशल मीडिया पर पुलिस प्रशासन की नजर।

‼️सुलतानपुर। 16 मार्च, 2024 शाम 3 बजे से 4 जून 2024 तक भारत में आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है आप सभी से अनुरोध है, कि एक जिम्मेदार नागरिक होने से किसी भी ग्रुप व सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की धार्मिक अथवा राजनैतिक विवादों को जन्म देती पोस्ट या चर्चा ना करें और ना ही इस प्रकार की किसी भी चर्चा पर अपने विचार दें। जहां भी करे सोच-समझकर पोस्ट शेयर करे। चुनाव आयोग व प्रशासन की सोशल मीडिया पर पूरी नज़र है। सोशल मीडिया का दुरूपयोग या ना समझदारी का प्रयोग आपके गले की फांस बन सकता है। अतः आदर्श आचार संहिता के सभी नियमों का कड़ाई से पालन करें। 

आचार संहिता लागू हो गई है किसी भी प्रकार की अगर आपत्तिजनक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के किसी भी सदस्यों द्वारा की जाती है तो उक्त पोस्ट पर ग्रुप एडमिन की जिम्मेदारी नहीं होगी ग्रुप में पोस्ट करने वाले सदस्य स्वयं जिम्मेदार होंगे‼️ व्हाट्सएप ग्रुप के सभी सम्मानित सदस्यों को अवगत कराया जाता है कि किसी भी तरह की अफवाहे प्रसारित ना करें, सोशल मीडिया की सभी गतिविधियों पर पुलिस द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही है।

लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए सोशल मीडिया पर भ्रामक,असत्य एवं भड़काऊ पोस्ट की तो कानूनी कार्रवाई होगी। पुलिस द्वारा व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर निगाहें रखी जा रही है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की उत्तेजना युक्त भ्रामक अथवा असत्य जानकारी पोस्ट करता है या पोस्ट को शेयर करता है तो संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्स्ना एवं पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने अपील करते हुए बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर किसी भी तरह की उत्तेजना युक्त भ्रामक असत्य एवं भड़काऊ पोस्ट को प्रसारित ना किया जाए। किसी भी व्यक्ति की छवि को धूमिल करने वाली पोस्ट को प्रसारित न करें। किसी भी प्रकार की सूचना एवं समाचार की आधिकारिक पुष्टि किए बिना विश्वास ना करें,अफवाहों को प्रसारित ना किया जाए।

व्हाट्सएप ग्रुप के सभी सम्मानित सदस्यों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे ग्रुप में किसी भी तरह की अफवाहे प्रसारित ना करें। कानून व्यवस्था एवं आपसी सौहार्द बनाए रखने में सुल्तानपुर प्रशासन का सहयोग करें। सोशल मिडीया की सभी गतिविधियों पुलिस द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही है। यदि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर आपत्तीजनक एवं भड़काऊ पोस्ट प्रसारित करता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी

क्यों और कब लागू होती है; किन पर लगती है रोक?

आदर्श आचार संहिता क्या है?
आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए निर्धारित किए गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है। आदर्श आचार संहिता में चुनाव आयोग की भूमिका अहम होती है। संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधानमंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावोंका आयोजन चुनाव आयोग का सांविधिक कर्तव्य है। 

आदर्श आचार संहिता कितने दिनों तक लागू रहती है?
चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तारीखों की घोषणा की तारीख से इसे लागू किया जाता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक लागू रहती है। लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में जबकि विधानसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य में लागू होती है।

आदर्श आचार संहिता की विशेषताएं क्या हैं?
इसकी मुख्य विशेषताएं निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए। चुनाव प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिन की गतिविधियों और सत्ताधारी दल के कामकाज भी संहिता से निर्धारित होते हैं।

मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिलाएंगे और न ही चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे। हालांकि, चुनाव प्रचार दौरे के साथ आधिकारिक दौरे को मिलाने संबंधी आदर्श आचार संहिता के प्रावधान से प्रधानमंत्री को छूट है।

विमान, वाहनों इत्यादि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा।

सरकार के लिए क्या नियम होते हैं?
चुनाव के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों या पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर संपूर्ण प्रतिबंध होगा। यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो पहले आयोग की अनुमति ली जाएगी।

मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा। इसमें शर्त है कि इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए।

सरकारी योजनाओं, निर्माण कार्य पर क्या नियम लागू होते हैं?
चुनाव के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे  पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जन-सम्पर्क निषेध है।

केंद्र में सत्ताधारी पार्टी/राज्य सरकार की उपब्धियों को प्रदर्शित करने वाले होर्डिंग या विज्ञापनों को सरकार खर्चे पर जारी नहीं रखा जाएगा। प्रदार्शित किए गए इस प्रकार के सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरंत हटा दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सहित अन्य मीडिया पर सरकारी राजकोष के खर्चें पर कोई विज्ञापन जारी नहीं होगा।

चुनावों की घोषणा से पूर्व जारी कार्य आदेश के संबंध में यदि क्षेत्र में कार्य शुरू नहीं किया गया है तो उसे शुरू नहीं किया जाएगा। परंतु यदि काम शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है। 

सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं। इंदिरा आवास योजना योजना के अंतर्गत कोई भी नया निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया जाएगा और चुनावों के पूरा होने तक किसी भी नए लाभार्थी को स्वीकृति नहीं दी जाएगी।

संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई) चल रहे कार्यों को जारी रखा जा सकता है। राष्ट्रीय रोजगार ग्रामीण गारंटी अधिनियम (एनईआरजीए) ग्रामीण विकास मंत्रालय ऐसे जिलों की संख्या नहीं बढ़ाएगा जिनमें चुनावों की घोषणा के पहले से ही ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन हो रहा है। चुनावों की घोषणा के बाद जॉब कार्ड धारक को चल रहे काम में तभी रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है यदि वे काम की मांग करें। 

मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वादा नहीं करेंगे। किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रखी जा सकेगी। सड़क बनवाने, पीने के पानी की सुविधा इत्यादि उपलब्ध करवाने का कोई वादा भी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ आधार पर कोई नियुक्ति भी नहीं पाएंगे। कुछ मामलों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी किसी राजनीतिक पदाधिकारी को शामिल किए बिना आधारशिला इत्यादि रख सकते हैं।

गेहूं और अन्य कृषि-संबंधी उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए चुनाव आयोग से परामर्श लिया जा सकता है।

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