आखिर प्रशासन किस हादसे का इंतजार कर रहा है,जिम्मेदारों के सामने से ही नाबालिक बच्चें ई-रिक्शे पर सवारियां बैठाकर फर्राटे भरते नज़र आते है,कभी-कभार जिम्मेदार ऐसे अनियंत्रित ई-रिक्शे की धर-पकड़ करते जरुर है,पर औपचारिकता से अधिक कुछ और नही रहता,पूर्व में भी बहुत सी घटनाएं ऐसे ही नाबालिक ई-रिक्शा चालकों के द्वारा हुई है,लेकिन गंभीरता से नही लिया,जिसके चलते 18 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सड़क पर ई-रिक्शा दौडाने की बढ़ती जा रही है,
सुल्तानपुर नगर क्षेत्र में ऐसा प्रायः देखने को मिल रहा है,नगर क्षेत्र में ई-रिक्शा और नाबालिक चालक कुछ इस तरह बढ़ रहे है,जिसे नियंत्रित करने में जिम्मेदार भी दिलचस्पी नही ले रहे है,जिसके कारण बगैर लाइसेंस और बगैर जरूरी अभिलेख के कम दूरी का सफर करने वाले यात्रियों के सिर पर खतरा मंडराता रहता है,ऐसे अनियंत्रित ई-रिक्शा और कम उम्र के बच्चों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष अभियान चलाकर आम लोगों की जिंदगी के जोखिम को कम करने की जरूरत है,सूत्र बताते है की यदि इसपर प्रभावी कदम नही उठाए जाते तो आने वाले वख्त में ऐसे बच्चों की संख्या बेशुमार दिखाई देगी।बुद्ववार को ऐसे ही एक कमसिन बच्चे को यातायात पुलिस के उप निरीक्षक ने पकड़ा और उसका ई-रिक्शा खड़ा करवा लिया,घंटो बाद उसे नसीहत देते हुए छोड़ भी दिया,परंतु एक बात तय है की हालात बदले नही तो अंजाम भी परेशान करने वाले आ सकते है,इस संबंध में यातायात निरीक्षक चंद्रभान वर्मा से बात करने पर उन्होंन बताया की इसके विरूद्ध अभियान चलाकर ठोस कार्रवाई की जाएगी।
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