इंसान एवं इंसानियत की कीजिए रक्षा, हैवान और हैवानियत को दीजिए सजा

भारत दुनिया का वो वाहिद मुल्क है जहां देश की बेटियों की आबरू लूटने वाले, उनका रेप करने वाले, रेप के बाद हत्या करने वाले रेपिस्टों/हत्यारों के पक्ष में रैलियां निकलती है।

लेखक:
हरमीत मिश्रा "तेजश"

संस्थापक & प्रधान सम्पादक

Live Media T.V. 

जब रेपिस्ट ज़मानत पर बाहर निकलते हैं तो सड़ा हुआ समाज उनका फूल-माला से स्वागत करता है। उनके पक्ष में नारा लगाता है।

एक बार सोचिए...

भारत देश जिसका विभिन्न संस्कृतियों में एक सर्वोच्च स्थान रहा है, वहां पर अलग अलग धर्मों से जुड़े लोगों की भारी जन संख्या बल से युक्त देश के सभी राज्य और उनमें शांति सुरक्षा देने के लिए दिन रात को अपनी जिम्मेदारी निभाती पुलिस प्रशासन की व्यवस्थाएं.... 

  क्या समाज में अपने परिवारों की नन्हीं कलियों जिनकी किलकारी से परिवार खुशियों से झूम उठता है, जो अपने जीवन काल में एक और परिवार के वंश वृद्धि की कारक के रूप में ईश्वरीय वरदान हैं।

उन मातृ शक्ति स्वरुप स्त्री समाज (बेटी, बहन, मां, पत्नी) को समाज में घूम रहे हवस के भूखे भेड़िए के हाथों शिकार करवाने के लिए ही क्या एक पुरूष समाज को स्त्री का संरक्षक माना गया है ..?

इसका मतलब पुरुष अब नपुंसक हो गया है, जो समाज में हवस के भूखे भेड़ियों को कानून के सहारे सजा दिलाने की उम्मीद लगाए बैठा रहता है और दूसरी ओर  दिन रात ऐसे हवस के भेड़िए अपनी वासना का शिकार किसी न किसी को बनाने में कोई शर्म लाज मानवता नहीं रखते...

ऐसे सभी दुष्कर्मी जो इंसान के वेश में इंसानियत का कत्ल कर मर्यादा को तार तार कर रहे हैं, उन्हें सजा देने का काम अब पब्लिक को ही करना होगा तभी समझा जायेगा कि पुरूष समाज वास्तव में मर्द है... नहीं तो वो सिर्फ एक नपुंसक पुरुष ही माना जाएगा जो कि एक दिन इस इंतजार में है कि कब उसके घर की मां बेटी बहन पत्नी को भरे बाजार नंगा किया जाए और वो उस पर आंसू बहाते हुए थानों कचहरी में चक्कर लगाए।

कानून का पालन करना हर भारतीय नागरिक की मुख्य जिम्मेदारी है  लेकिन कानून रक्षकों के कंधों का भार कम करना भी इसी समाज की जिम्मेदारी है  घृणित और जघन्य बलात्कार, हत्या, बच्चियों से दुष्कर्म की एक ही सजा बीच चौराहे आन द कैमरे पर दी जानी चाहिए..…

१.  मुख्य आरोपी साबित हो जाने पर दुष्कर्मियों की आंखें निकाल दी जाएं

२.  दुष्कर्मियों के गुप्तांग काट कर अलग कर दिए जाएं

३.  दुष्कर्मियों की गां# में गोली मार दी जाए

और ऐसे करना कोई मानवाधिकार का हनन नहीं है

कोई कानून  व्यवस्था के लिए खतरा नहीं है 

क्योंकि जिसने इंसान और इंसानियत को कुचल दिया हो उस 

हैवान और हैवानियत करने वाले का ये ही अंजाम होना चाहिए 

क्योंकि समय की है ये मांग, फैसला आन द स्पॉट..

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