दस जनाजे एक साथ उठते ही बैठा सबका कलेजा...रोया हुजूम
मेरठ की जाकिर कॉलोनी में रविवार शाम को हजारों की गमगीन भीड़। चारों ओर पसरा सन्नाटा। ठीक सात बजे कतार में रखे दस शव कंपकंपाते कंधों पर उठाए गए तो सन्नाटे को चीरती चीत्कार से सबका कलेजा बैठ गया। हर आंख के आंसू सूख गए। हुजूम के बीच विलाप करती महिलाएं और परिवार के अन्य लोग शवों का चेहरा देख गश खा गए। कई महिलाएं तो चक्कर खाकर गिर पड़ीं। हर दिल से यही सदा आ रही थी कि हे परवरदिगार रहम कर। मरहूमों की मगफिरत और ये पहाड़ सा गम सहने का सब्र अता फरमा।
अचानक तेज आवाज के साथ कमरे की छत भरभराकर गिर गई। कुछ हल्की सी चीख सुनाई दी। वह स्वजन के साथ दौड़ा और रोते हुए मलबा हटाया। जब वह उन्हें उठाया तो बेटी इनाया और बिलाल की गर्दन झूल गई। हाथों में उठाकर डाक्टर के पास पहुंचे, लेकिन तब तक मौत हो चुकी थी।
मासूमों के शव देख तड़पी घायल मां की ममता
मासूमों के साथ मिट्टी के मलबे में रुखसार भी दबी थी। वह भी कुछ देर के लिए अचेत हो गई। जैसे ही मलबा हटा तो वह बच्चों के लिए तड़प उठी। तीनों बच्चों को कस्बे में चिकित्सक के पास ले गए, लेकिन कुछ देर बाद इयाना व बिलाल को वापस ले आए।
रुखसार को भी चिकित्सक के लिए ले जाने के लिए प्रयास किया, लेकिन उसने इन्कार कर दिया। दोनों मासूमों के शव कुछ देर में घर आ गए तो वे उन्हें आगोश में लेकर बिलख पड़ीं। उसके घंटों बाद भी वह रोती रही। आखिर काफी प्रयास के बाद स्वजन ने उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा।
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