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बलात्कार जैसे संगीन और गंभीर मामलों में फर्जी नामजदगी आरोपियों का कर देती है जीवन तबाह ओर बर्बाद..

 सामान्यत: ऐसे दर्ज होने वाले मुकदमों में पहले होनी चाहिए गहनता के साथ पूरी जांच..!!

किसी बेगुनाह को संगीन आरोप से आहत ना होना पड़े...!!लव मैरिज की सजा से घर वालों को

 

सच ओर झूठ के बीच कभी कभी पुलिस और न्याय भी उलझ कर रह जाता है बलात्कार जैसे संगीन अपराध की बात करें तो यह एक बहूत ही गम्भीर मामला होता हैं जब कभी भी देश या प्रदेश स्तर पर ऐसे सनसनी मामले प्रकाश में आये जो राष्ट्रीय स्तर पर विरोध का कारण बने तथा पूरी जनता पीड़िता के साथ खड़ी हो जाती है यह इस बात का प्रतीक हैं कि बहुबेटियों के मान सम्मान व भावनाओं की कद्र करने वाले हमारे इस देश मे बलात्कार जैसे घिनोने अपराध की कोई गुंजाइश नही है ओर ऐसे लोगो को कानून के रखवालों ने सबक भी सिखाया हैं।इसके लिए कड़े कानून तो यह ही तो कड़े दंड का भी प्रावधान रखा गया हैं।ऐसे घिनौनी अपराध किसी भी सूरत पर सभ्य समाज का सूचक नहीं हो सकते इन सब के बावजूद देखने मे यह भी आता हैं कि ऐसे अपराधों ओर कानूनों के साथ खिलवाड़ भी किया जाने लगा हैं।यदि हम जिलों के महिला थाने में महिलाओं से सम्भन्धित आने वाली शिकायतो एवं आरोपो की बात करें तो हर दूसरे या तीसरे मामले में पीड़िता द्वारा दहेज मारपीट उत्पीड़न घरेलू हिंसा के साथ-साथ जघन्य अपराध बलात्कार के भी आरोपों का पूरी तरह

विवरण दिया जाता हैं इनमें बूढ़े बुजुर्ग वृद्ध महिलाएं तक भी आरोपी बना दिए जाते हैं।सवाल यह होता हैं कि ऐसे गम्भीर आरोप लगाकर कैसे भावनाओं एवं इज्जत के साथ एक प्रकार से खिलवाड़ किया जाता हैं!यह अच्छी बात हैं कि अधिकारियों के सुपरविजन में महिला थानो में पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपो की जनता के साथ निष्पक्ष ढंग से जांच एवं कौंसलिनग की जाती हैं।यदि मुकदमें दर्ज भी होते है तो जांचों उपरांत बलात्कार को कर्म जैसी गंभीर धाराओं को इसलिए हटा दिया जाता है कि अधिकांश ऐसी शिकायतें व आरोप जांच में निराधार पाए जाते हैं।बलात्कार जैसे मामलों में त्वरित न्याय ना मिल पाने के कारण अक्षर गंभीर स्थिति भी पैदा हो जाती हैं!कई बार बिना जांच के के भी ऐसे मुकदमें दर्ज कर लिए जाते है जिनकी सच्चाई बाद मे सामने आती है लेकिन तब तक आरोपो बनाएं गए पक्षो की फजीहत ओर रुसवाई हो जाती हैं तथा समाज मे शर्मिंदगी भी उठानी पढ़ती हैं।हालाकि पुलिस प्राम्भिक स्तर पर जांच भी करती हैं और त्वरित मुकदमें भी दर्ज कर लेती हैं,ऐसे ही अगर एक मामले की बात करें तो अफजलगढ़ के मोहल्ला मियां जी मौखा सहित चार लोगों को एक ऐसे ही मुकदमें में आरोपी बनाया गया है संगीन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा निश्चित रूप से प्रारंभिक जांच का विषय हो सकता था ओर यदि पुलिस चाहती तो जांच करके इस केस की तह तक मे जा सकती थी!लेकिन आनन फानन में मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया लेकिन गंभीर धाराओं में आरोपी बनाए गए जिम्मेदार लोग क्या वास्तव में उस गुनाह के गुनहगार हैं? जो उन्होंने शायद किया ही नहीं? किसी की मान मर्यादा प्रतिष्ठा सामाजिक छवि भी इससे धूमिल एवं प्रभावित होती है,ऐसे गंभीर आरोप पूरे आरोपी परिवार को तबाह और बर्बाद कर देते हैं!बेहतर हो कि ऐसे मामलों में पुलिस पूरी निष्पक्ष इमानदारी के साथ जांच करें भलेहि समय लगे लेकिन इंसाफ हो,आधा अधूरा इंसाफ अंदर से इंसान को पूरी तरह तोड़ कर रख देता है इंसाफ का होना बहुत जरूरी एवं लाजमी है,कई बार ऐसा भी होता है कि आरोपी एक होता है और गुनाहगार पूरे परिवार को बना दिया जाता है इस दंश से और आरोप से निकलने में बहुत समय लग जाता है तथा बहुत कुछ झेलना पड़ता है बेहतर हो कि ऐसे मामले को पूरी गंभीरता के साथ लिया जाए तथा फर्जी जय मुकदमा दर्ज करने वालों के खिलाफ भी अवश्य कुछ ना कुछ कड़ी कार्यवाही हो ताकि फर्जी ढंग से मुकदमा दर्ज कराने वालों पर भी अंकुश लगे और यह परंपरा ने बड़े इससे वास्तविक पीड़ित भी प्रभावित होता है और यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि घटना कितनी सही है और कितनी गलत यह तो बाद में पुलिस विवेचना और तथ्यों के आधार पर पता चलता है ऐसे गंभीर मामलों में यह होना चाहिए कि उच्च अधिकारियों के मार्ग निर्देशन में पूरी तरीके से निष्पक्ष एवं ईमानदारी के साथ जांच हो तथा उसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया जाए ताकि किसी बेगुनाह को संगीन आरोप से आहत ना होना पड़े! अफजलगढ़ का एक हंसते खेलता परिवार झूठे दहेज उत्पीड़न कान में फस गया और लाखों रुपए के नीचे आ गया ना कोई पत्रकार साथी साथ आया और ना ही कोई रिश्तेदार काम आया और काम आया तो सिर्फ पैसा और पैसा और पैसा पैसा ही काम आया आज परिवार बहुत नाजुक जोर से गुजर रहा है और झूठ निराधार मुकदमा चालू हो गया और सब देखते रह जाए और मजाक बनाते रहे वह ₹500000 ले गई और 20 तोला सोना ले गई उसे पर किसी भी नहीं बात नहीं की सिर्फ₹500000 20 तोला सोना पड़े उन्होंने हमारे ऊपर झूठ दहेज उत्पीड़न का केस लगा दिया हम यह बात कहते कहते थक गए कि हमने कुछ नहीं किया और वह हम पर छोटे इल्जाम लगती चली गई आज पूरा परिवार सदमे में है जो 2 साल तक लव मैरिज करने के बाद अपने ससुराल में रही और अपने मनमानी करते रहे सास ससुर दोष में रखा और बार-बार धमकी देते रहे अगर तुम मेरे कहने पर नहीं चल तो तुम्हें मैं फंसा दूंगी हम हम दर में रहे और उसका हर जुर्म जुर्म बर्दाश्त करते रहे वह रोज अपने मां-बाप से बात करते रहे और वह अपने मां बाप के चढ़ाई में रहे और हमें बर्बाद करके चली गई और झूठे मुकदमे में फास्ट जा रही है कहीं ऐसा ना हो कि उसके झूठे मुकदमे से हम दुखी हैं कि हमारा घर भी हाल इंजीनियर जैसा ना हो जाए वक्त का कुछ पता नहीं मेरा परिवार या हम इस दुनिया को अलविदा ना कह दे क्योंकि हमारा हद से ज्यादा उत्पन्न हो रहा है कोई पत्रकार साथी भी आगे नहीं बढ़ रहा है और हमारी कोई भी मदद नहीं कर रहा है

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