बॉलीवुड सनसनी और अंडरवर्ल्ड से डायरेक्ट कनेक्शन वाली अभिनेत्री ने किया खुद का किया पिंडदान, बनीं महामंडलेश्वर यमाई ममतानंद गिरि
बॉलीवुड की बोल्ड अभिनेत्री के रूप में मशहूर रहीं और फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदा से फैन्स के दिलों में राज करने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में अपने सांसारिक जीवन का त्याग करते हुए शुक्रवार को संन्यास ले लिया है।ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े में संन्यास लिया और वहां उनका पट्टाभिषेक संपन्न हुआ।
प्रयागराज। अब ममता कुलकर्णी का नया नाम श्री यमाई ममतानंद गिरि हो गया है।ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की ये पदवी किन्नर अखाड़े ने दी है। ममता कुलकर्णी को अखाड़े के वृंदावन सोमनाथ नंद आश्रम का जिम्मा सौंपा जाएगा। बता दें कि ये किन्नर अखाड़ा साल 2015 में बना था।किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है।इस अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं।
किन्नर अखाड़े की परंपरा के अनुसार ममता कुलकर्णी को पहले भगवा वस्त्र पहनाए गया फिर माला पहनाई गई।वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ममता कुलकर्णी का सिंदूर और हल्दी से तिलक किया गया।ममता कुलकर्णी को दूध से स्नान कराया गया।इस दौरान ममता कुलकर्णी की आंखों में आंसू थे।
ममता कुलकर्णी वैसे तो लगभग दो दशक से साध्वी जैसी ही जिंदगी जीने का दावा करती रही हैं। ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर बनने से ठीक पहले भी कहा कि इस उपाधि को पाने से पहले उनकी परीक्षा भी ली गई है। 23 साल तक की गई तपस्या, साधना और ध्यान से संबंधित ढेर सारे सवाल पूछे गए। हर सवाल का सही जवाब देने और तरह-तरह की परीक्षाओं में पास होने के बाद उन्हें यह उपाधि मिली है।
बता दें कि ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को सबसे पहले किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात की।इसके बाद किन्नर अखाड़े ने ऐलान किया कि वो ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देगा,जिस तरह किसी संस्था,कंपनी या सरकार का संचालन अलग-अलग पदों पर बैठे लोग करते हैं उसी तरह से अखाड़ों में भी संचालन के लिए साधु-संतों और संन्यासियों को एक पदवी दी जाती है।इनमें सबसे बड़ा पद होता है शंकराचार्य का और दूसरा बड़ा पद महामंडलेश्वर का होता है।
महामंडलेश्वर बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं का पिंडदान करना होता है और उसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया जाता है।महामंडलेश्वर बनने के लिए ममता कुलकर्णी ने संगम में डुबकी लगाई और इसके बाद अपना पिंडदान करके उन्होंने ममता कुलकर्णी की पहचान को हमेशा के लिए छोड़ दिया।अब वो ममता कुलकर्णी नहीं,बल्कि श्री यमाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी और उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर माना जाएगा।
लोगों का कहना है कि ममता कुलकर्णी अचानक से महामंडलेश्वर कैसे बन गईं,क्योंकि महामंडलेश्वर बनने के लिए पहले दीक्षा लेनी पड़ती है और एक लम्बी अवधि में तपस्या करके संसारिक जीवन के प्रवृति मार्ग को छोड़ना पड़ता है। अखाड़ों का नियम है कि जो व्यक्ति महामंडमलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए,उसमें संसारिक मोह-माया के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए,पारिवारिक संबंधों से दूर होना चाहिए और वेद-पुराणों का ज्ञान होना चाहिए,लेकिन अगर आप ममता कुलकर्णी के जीवन को देखेंगे तो आपको ये पता चलेगा कि कुछ समय पहले तक उनका जीवन विवादों से भरा हुआ था।
ममता कुलकर्णी पर आरोप लगता है कि 2013 में हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी और ये वही ड्रग माफिया है,जिसे दुबई में ड्रग्स तस्करी के लिए 12 वर्षों की जेल हुई थी। बरहाल ममता कुलकर्णी इन आरोपों को गलत बताती हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक मामले में ममता कुलकर्णी के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था और ये बताया था कि उसने मुम्बई से 80 लाख रुपये की ड्रग्स बरामद की थी,जिसका संबंध एक ऐसी कम्पनी से था, जिसकी डायरेक्टर ममता कुलकर्णी थीं।
ममता कुलकर्णी खुद कहती हैं कि वो ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से प्यार करती थीं और इस दौरान वो 2000 से 2024 तक भारत से दूर रहीं।इसके अलावा जब ममता कुलकर्णी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा नहीं था तब उन पर अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन होने के आरोप लगे थे।कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए उन्होंने अंडरवर्ल्ड के अपराधियों से डायरेक्टर को फोन करवाया था।
ममता कुलकर्णी का D गैंग से कनेक्शन
इतना ही नहीं 1993 में ममता कुलकर्णी ने एक मैग्ज़ीन के लिए टॉपलैस फोटोशूट कराया था,जिस पर देशभर में काफी हंगामा हुआ था और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने से लोग हैरान हो रहे हैं।लोग पूछ रहे हैं कि ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर बनने के लिए किन्नर अखाड़े को क्यों चुना,तो इसका कारण ये है कि किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है। ये वो अखाड़ा है,जिसमें संन्यासी बनने के बाद भी भौतिक जीवन जिया जा सकता है और इसमें महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारिक और पारिवारिक रिश्तों को खत्म करना ज़रूरी नहीं होता और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने इस अखाड़े को चुना और अब वो भौतिक जीवन जीते हुए भी संन्यासी बनकर रह सकेंगी।इसमें ममता कुलकर्णी को वैराग्य वाला जीवन नहीं बिताना होगा।
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