जौनपुर। लाइन बाजार थाना क्षेत्र के सीहीपुर रेलवे क्रॉसिंग के पास वाराणसी-लखनऊ हाइवे पर हुए हादसे को याद कर घायल और अन्य श्रद्धालु सिहर जा रहे हैं। वह बस यही कह रहे कि अयोध्या में दर्शन करने के बाद सभी 50 श्रद्धालु सामूहिक भोजन किए।
इसके बाद अपनी-अपनी सीट पर बैठे और थकान के कारण गहरी नींद में चले गए। रात करीब ढाई बजे अचानक धमाका जैसी आवाज और झटका लगने पर उनकी नींद खुल गई। इसके बाद उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। किसी के ऊपर सामान गिरा था तो कोई खिड़की में फंस गया था।
घायल वीपेन मंडल, वीरेंद्र मंडल ने बताया कि वे 50 लोगों समूह सात सितंबर को छत्तीसगढ़ से निकले। 10 दिन के इस धार्मिक भ्रमण के लिए प्रति व्यक्ति 8-8 हजार रुपये का पैकेज था। साथ में खाना और खाना बनाने वाले भी थे।
सभी श्रद्धालु पहले अमर कंटक, मैहर देवी, चित्रकूट, वृंदावन रविवार अयोध्या पहुंचे थे। जहां रामलला का दर्शन किया और अन्य मंदिरों में भी पूजा-अर्चना की। इसके बाद ऑटो से अयोध्या घूमे और मोबाइल में तस्वीर भी कैद की।
रात खाना खाने के बाद हम सभी बस में बैठ गए। वह सोमवार को सुबह तक वाराणसी पहुंचते। जहां श्रीकाशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद संकट मोचन और गंगा आरती देखते। इसके बाद वाराणसी से ही छत्तीसगढ के लिए वापस हो जाते लेकिन होने को कुछ और ही मंजूर था।
दिनभर थकान के कारण नींद आ गई जो हादसे के बाद खुली तो देखा हर ओर चीख-पुकार मची हुई थी। एक साइड की बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। दूसरे साइड के श्रद्धालु उनकी तरफ सामान सहित गिर रहे थे।
कोई केबिन में ही दब गया था तो कोई खिड़की में फंसा हुआ था। हालांकि पुलिस पहुंची और सभी को अस्पताल ले गई। लेकिन, वहां चिकित्सकों ने चार लोगों को मृत घोषित कर दिया।
घायल सुरेश साहू व दिलीप दास ने बताया कि नींद खुली तो पता चला की उनकी बस किसी गाड़ी से टकरा गई। पीछे बैठने के कारण चोटें आईं। बस से उतरा तो देखा कि सहयोगी चालक दीपक केबिन में पूरी तरह पिचक गया था। ड्राइवर की केबिन में दबकर मौत हो गई थी। बस बाईं ओर से ट्रेलर से बुरी तरह टकराई। हमारे गांव का एक साथी बस की खिड़की से आधा बाहर लटक रहा था। लोगों ने तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी।पुलिस मौके पर पहुंची। सभी घायलों को अस्पताल ले गई। वहीं, हादसे में गुलाबो (27) की भी मौत हो गई है। घायलों के मुताबिक वह खाना बनाने में भी सभी की सहयोग करती थी।
हादसे में मरने वाली आशा भावल (38) भी शामिल हैं, जिनके पति उपनंद भवन भी घायल हैं। वह कभी बेड पर लेट जा रहे तो कभी बैठकर रोने लग रहे हैं। वह रोते हुए कह रहे अपने बच्चों को क्या जवाब देंगे। उन्होंने बताया कि 2000 में उनकी शादी आशा से हुई थी।
बड़ी बेटी मोनिशा (22) साल की हो गई है, जिसकी शादी वह अगले साल करने की तैयारी कर रहे थे। बेटा अनुराग पढ़ रहा है। वह अपनी पत्नी के साथ खाना खाने के बाद अलग-अलग सीट पर बैठे थे। नींद खुली तो देखा ऊपर की सीट पर सो रहे यात्री नीचे गिर पड़े।
ऊपर रखा सामान उनके ऊपर आ गिरा। किसी तरह सामान हटाकर उठे तो पत्नी आशा को खोजने लगे। देखा कि वह बस की खिड़की और सीट के बीच फंसी हुई है। वह सिर से पांव तक खून से लथपथ थी। किसी तरह उसे खींचकर बाहर निकाला लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। अब पत्नी चली गई तो मैं जीकर क्या करूंगा।
हादसे में संध्या मंडल भी घायल हुई हैं, जो मृत आशा भावर की ननद हैं। उनके पैर में फैक्चर हुआ है। वह बेड पर सो रहे अपने उपनंद भवन की ओर इसारा करते हुए कह रही थी वह उनकी बहन हैं। भाई की पत्नी आशा उनके बगल ही बैठी थी। दोनों थकान के कारण रात में सो रहे थे। लेकिन, नींद खुला हादसा हो चुका था। वह गिर पड़ी थी। उनकी भाभी आशा खिड़की और सीट के बीच फंसी हुई थी।

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