कब्रिस्तान की कब्रें तोड़कर भूमि समतल, प्रशासन पर अनदेखी का आरोप
वक्फ बोर्ड की जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप एक आम समस्या है, जिसमें वक्फ माफियाओं और कुछ प्रभावशाली लोगों पर गरीबों की संपत्तियों पर कब्जा करने, अवैध निर्माण करने और उन्हें बेचकर आर्थिक लाभ उठाने के आरोप लगते हैं, जिससे जरूरतमंदों को कोई फायदा नहीं होता; इस पर सरकारें सख्त कानून और संशोधन ला रही हैं, और प्रशासन को अवैध कब्जों को हटाने और कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन यह मामला जटिल है और कोर्ट-कचहरी के चक्कर भी लगते हैं,
सुल्तानपुर। कोतवाली नगर क्षेत्र के खैराबाद स्थित जमाल गेट के पास वक्फ बोर्ड में कब्रिस्तान के रूप में दर्ज भूमि पर अवैध कब्जे का गंभीर मामला सामने आया है। वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में गाटा संख्या 296 के रूप में दर्ज इस कब्रिस्तान की कच्ची व पक्की कब्रों को क्षतिग्रस्त कर गुरुवार रात भूमि को समतल कर दिया गया।
आरोप है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष सैयद रहमान उर्फ मानू द्वारा लोहे के एंगल और टीन की चादरों से घेराबंदी कर इस भूमि पर अवैध कब्जा किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कब्रिस्तान की भूमि से कब्रों को नुकसान पहुंचाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, इस मामले की जानकारी जिलाधिकारी को 18 दिसंबर 2025 को लिखित शिकायत पत्र के माध्यम से दी गई थी, लेकिन प्रशासन की ओर से समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। आरोप है कि प्रशासनिक अनदेखी के कारण ही दबंगों के हौसले बढ़े और कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा कर उसे समतल कर दिया गया। मामले के सामने आने के बाद क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर अवैध कब्जा हटवाने, दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने तथा क्षतिग्रस्त कब्रों के पुनर्स्थापन की मांग की है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाता है।
बांग्लादेश में भारत विरोधी उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा, भारतीय उप उच्चायुक्त के घर पर पथराव, अवामी लीग का दफ्तर आग के हवाले
दरअसल, 12 दिसंबर को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान अज्ञात हमलावरों ने हादी के सिर में गोली मार दी थी.
कौन था उस्मान हादी
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के एक प्रमुख राजनीतिक कार्यकर्ता, छात्र नेता था. वह इंकलाब मंच (Inquilab Mancha) के संस्थापक सदस्यों में से एक और संयोजक था. 2024 के जुलाई-अगस्त विद्रोह (जिसे जुलाई क्रांति भी कहा जाता है) में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का तख्तापलट कर दिया था.
हादी को भारत-विरोधी बयानबाजी के लिए जाना जाता था. वह भारत को बांग्लादेश में "हेगेमोनी" (प्रभुत्व) थोपने वाला मानते थे. हाल ही में उन्होंने ग्रेटर बांग्लादेश का एक नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसमें भारत के कुछ पूर्वोत्तर हिस्से शामिल दिखाए गए थे, जिससे बड़ा विवाद हुआ.
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