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Uttarkashi Tunnel Rescue LIVE: 41 मजदूरों में से 21 मजदूर को सफलतापूर्वक बाहर निकाला...

 उत्तराखंड में 12 नवंबर से सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों में से 21 मजदूर को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया। बाकी के मजदूरों को निकालने का काम जारी है।

चट्टानों का सीना चीर कर बाहर आए मजदूर, टनल साइट से पहली एंबुलेंस निकली, 17 दिन बाद पूरा हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाना शुरू हो गया है. रेस्क्यू टीमों ने रैट होल माइनिंग और सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की. मजदूरों को एक पाइप के जरिए निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बाहर निकल चुके मजदूरों का हेल्थ चेकअप जारी है.


उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाना शुरू हो गया है. सुरंग में खुदाई पूरी हो गई है. 800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है. एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंची, फिर उन्हें बाहर निकालने का काम शुरू किया गया. मजदूरों को एंबुलेंस में बैठाकर अस्पताल भेजने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. वहीं सुरंग के अंदर मजदूरों के परिजनों को भेजा गया है. वो सर्दी के हिसाब से कपड़े लेकर वहां गए हैं.

सिल्क्यारा-डंडलगांव सुरंग दरअसल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे हिंदू तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है. दिवाली के दिन सिल्क्यारा-डंडलगांव सुरंग पर का एक हिस्सा सुबह करीब साढ़े पांच बजे भूस्खलन से ढह गया और सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, सीमा सड़क संगठन और राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड सहित कई एजेंसियां बचाव के प्रयास में जुट गईं.

13 नवंबर : शाम तक बचाने की कही गई बात

सुरंग में फंसे हुए मजदूरों से वॉकी-टॉकी के जरिए संपर्क स्थापित किया गया. उनके सुरक्षित होने की सूचना मिली. बताया गया कि मजदूर सुरंग के सिल्कयारा छोर से लगभग 55-60 मीटर की दूरी पर फंसे हुए हैं. कहा जाता है कि उनके पास चलने और सांस लेने के लिए लगभग 400 मीटर की जगह है. जिला प्रशासन ने बचाव की कोशिशें शुरू कीं. फंसे हुए मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन और भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की गई. यह सामान एयर कॉम्प्रेशन का उपयोग कर उन तक पहुंचाया जाने लगा.

अधिकारियों ने कहा कि उन्हें शाम तक मजदूरों को बचा लेने की उम्मीद है. घटनास्थल पर पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मलबा गिरना जारी है, जिससे बचाव कार्यों में देरी हो रही है. सुरंग स्थल पर 800 और 900 मिलीमीटर व्यास के स्टील पाइप लाए गए. इन पाइपों को मलबे के बीच से धकेलकर अंदर तक पहुंचाने की योजना बनी, ताकि मजदूर इनके बीच से रेंगकर बाहर निकल सकें. एक ऑगर मशीन, जो हॉरिजोंटल ड्रिलिंग करती है, को मलबे के बीच पाइपों को ले जाने का रास्ता बनाने के लिए लाया गया.

उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि मजदूरों को 15 नवंबर तक निकाला जा सकता है और फिर ऑगर मशीन के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार किया गया, लेकिन ताजा भूस्खलन से यह क्षतिग्रस्त हो गया. इसी दिन फंसे हुए श्रमिकों में से कुछ को सिरदर्द की शिकायत के बाद भोजन और पानी के साथ-साथ दवाएं भी दी गईं.

15 नवंबर : घटना स्थल पर विरोध प्रदर्शन

ऑगर मशीन के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म के क्षतिग्रस्त होने के बाद तोड़ दिया गया. नए उपकरण, एक अधिक शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर की मांग की गई. नई दिल्ली से ये रवाना हुई. लेकिन सुरंग के निर्माण में शामिल कई मजदूरों ने फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने में हो रही देरी को लेकर बचाव स्थल पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

16 नवंबर : “दो-तीन दिन और”

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि बचाव अभियान पूरा होने में दो-तीन दिन और लग सकते हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री ने कहा कि बचाव कार्य 17 नवंबर तक भी पूरा किया जा सकता है ओर बचाव टीमों ने विदेशी विशेषज्ञों से भी बात की है, जिसमें वह फर्म भी शामिल है जिसने थाईलैंड की एक गुफा में फंसे 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच को बचाने में मदद की थी. इधर, भारतीय वायु सेना के विमान द्वारा पहुंचाए गए अधिक शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर ने साइट पर काम शुरू किया.

17 नवंबर : तेज टूटने की आवाज

रात भर काम करते हुए मशीन ने दोपहर तक 57 मीटर के मलबे में करीब 24 मीटर तक ड्रिल किया. छह-छह मीटर लंबाई के चार पाइप डाले गए. लेकिन दोपहर 2:45 बजे के आसपास काम रुक गया. अधिकारियों और सुरंग के अंदर काम कर रही टीम को “बड़े पैमाने पर टूटने की आवाज” सुनाई दी. अंतत:, एक और ऑगर मशीन इंदौर से एयरलिफ्ट की गई.

18 नवंबर : केंद्र की उच्च स्तरीय बैठक

बचाव अभियान सातवें दिन में प्रवेश कर गया, लेकिन ड्रिलिंग फिर से शुरू नहीं हुई क्योंकि विशेषज्ञों का मानना था कि सुरंग के अंदर 1750 हार्स पावर अमेरिकी ऑगर के कारण होने वाले कंपन से और अधिक मलबा गिर सकता है. केंद्र सरकार ने एक उच्च स्तरीय बैठक की जिसमें बचाव के लिए पांच विकल्पों पर विचार किया गया. इनमें मजदूरों तक पहुंचने के लिए पहाड़ी की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग और किनारे से समानांतर ड्रिलिंग का विकल्प शामिल था.

एक नक्शा सामने आया जो सुरंग के निर्माण में शामिल कंपनी की ओर से कथित गंभीर चूक की ओर इशारा कर रहा था. एसओपी के अनुसार तीन किमी से अधिक लंबी सभी सुरंगों में आपदा की स्थिति में लोगों को बचाने के लिए भागने का रास्ता होना चाहिए. नक्शे से पता चला कि 4.5 किमी लंबी सिल्कयारा सुरंग के लिए भी ऐसे मार्ग की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह बनाया नहीं गया. मजदूरों के परिवारों के सदस्यों ने कहा कि पिछले ड्रिल बंद होने के बाद से वे चिंतित हैं. कुछ परिवारों के सदस्यों और निर्माण में शामिल अन्य श्रमिकों ने बताया कि अगर भागने का रास्ता बनाया गया होता तो मजदूरों को बहुत पहले बचाया जा सकता था.

19 नवंबर : ढाई दिन और?

इस दिन ड्रिलिंग बंद रही जबकि अधिकारी पहाड़ी की चोटी से छेद बनाकर मजदूरों तक पहुंचने के विकल्प पर काम कर रहे थे. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बचाव अभियान की समीक्षा की और कहा कि हॉरिजोंटल ड्रिलिंग करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है और ढाई दिनों के भीतर सफलता मिल सकती है.

20 नवंबर : पहली बार मिला भोजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बातचीत की और बचाव कार्यों पर चर्चा की. पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि फंसे हुए मजदूरों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है. फंसे हुए मजदूरों के लिए कुछ अच्छी खबर यह आई कि बचावकर्मी मलबे के बीच छह इंच चौड़ी पाइपलाइन डालने में कामयाब हो गए. मजदूरों तक खिचड़ी को बोतलों में भरकर भेजा गया. उन्हें नौ दिनों में पहली बार गर्म भोजन मिल सका. हालांकि ड्रिलिंग के काम में बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई.

21 नवंबर : नजर आए मजदूर

मजदूरों को दस दिनों में पहली बार देखा गया. एक पाइप के माध्यम से डाले गए कैमरे ने उनके दृश्यों को कैद कर लिया. अधिकारियों ने उनसे बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि उन्हें सुरक्षित बाहर लाया जाएगा. मजदूरों ने हाथ हिलाकर बताया कि वे ठीक हैं. शाम को अतिरिक्त सचिव तकनीकी, सड़क एवं परिवहन महमूद अहमद ने कहा कि अगले कुछ घंटे महत्वपूर्ण हैं और अगर सब कुछ ठीक रहा तो 40 घंटों में कुछ ‘अच्छी खबर’ आ सकती है.

22 नवंबर : आशा का दिन

यह वह दिन था जब सबसे ज्यादा उम्मीदें थीं कि रात तक मजदूरों को निकाल लिया जाएगा. एम्बुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा गया और स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों वाला एक विशेष वार्ड तैयार किया गया. कहा गया कि बचाव कर्मियों और मजदूरों के बीच केवल 12 मीटर की दूरी है. रात में ड्रिल लोहे की जाली से टकराई, लेकिन अधिकारियों ने फिर भी कहा कि वे अगले दिन सुबह 8 बजे तक श्रमिकों को बाहर निकालना शुरू कर सकते हैं.

23 नवंबर : एक और रोड़ा

सुबह लोहे की जाली हटा दी गई और बचाव कार्य फिर से शुरू हो गया. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा कि अगर कोई अन्य दिक्कत नहीं आई तो रात तक श्रमिकों को बचा लिया जाएगा. हालांकि, शाम को ही मशीन एक मेटल के पाइप से टकरा गई. मशीन के ब्लेड की मरम्मत करने, जिस प्लेटफॉर्म पर मशीन चल रही थी उसे मजबूत करने और संचालन में बाधा बन रहे धातु के गार्डर और पाइप को हटाने में कई घंटे लग गए.

24 नवंबर : “दो और पाइप”

अधिकारियों ने 13वें दिन कहा कि केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी है और दो और पाइप डालना है जो मजदूरों तक पहुंचने के लिए पर्याप्त हो सकता है. उत्तराखंड के सचिव नीरज खैरवाल ने कहा कि जमीन भेदने वाले रडार विशेषज्ञों की एक टीम को बुलाया गया था, जिन्होंने कहा है कि अगले पांच मीटर तक कोई बड़ी मेटल की बाधा नहीं होने की संभावना है.

ड्रिलिंग शाम को फिर से शुरू हुई लेकिन इसके तुरंत बाद तब रुक गई जब ऑगर मशीन का फिर किसी मेटल की चीज से सामना हुआ. एक अधिकारी ने कहा, “ऑगर मशीन में फिर से कुछ दिक्कत आ गई है. फंसे हुए मजदूरों तक मैन्युअल तरीके से पहुंचने की कोशिश की जा रही है.”

25 नवंबर : अब मैनुअल ड्रिलिंग

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मशीन सुरंग के अंदर फंस गई है और इसे बाहर निकालने के लिए हैदराबाद से एक विशेष उपकरण लाया जा रहा है. तय हुआ कि सुरंग के अंदर अब स्वचालित ड्रिलिंग नहीं होगी और रविवार को ऑगर मशीन बाहर निकालने के बाद ही मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू होगी. सोमवार को मैन्युअल ड्रिलिंग के बाद पाँच मीटर और आगे बढ़ा और आज आखिरकार सफलता मिल गई.

26 नवंबर: सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई

सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई. उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने कहा ‘सरकार ने सुरंग में भ्रष्टाचार किया है…’

27 नवंबर: 36 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हुई

प्लान बी के तहत सुरंग के ऊपर 16 घंटे के अंदर 36 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग पूरी हुई. सुरंग में फंसे मजदूरों को 10 दिन तक स्टोर करने के लिए फूड पैकेट भेजे गए.

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