आजकल यहाँ बहुत बड़े स्तर पर मंदिर के चारो ओर निर्माण और पुनर्निर्माण का वृहद कार्य चल रहा है। यह कार्य सुल्तानपुर की लोकप्रिय सांसद श्रीमती मेनका संजय गाँधी जी सामाजिक सहयोग से करा रही हैं। उनके प्रतिनिधि रणजीत सिंह जी लगातार यहाँ प्रवास कर रहे हैं और कार्य की देख रेख कर रहे हैं। सड़कें, घाट, पेंटिंग, दीवारों पर रामायणकालीन चित्र, सब कुछ बन रहा है।
आगामी 22 जनवरी को यहाँ भव्य कार्यक्रम सम्पन्न होने जा रहा है। यह पौराणिक स्थल सुल्तानपुर से 28 किमी की दूरी पर लम्भुआ होते हुए दियरा रोड पर स्थित है। विष्णु पुराण में मिलता है कि गोमती नदी के इस क्षेत्र को धुतोपाप कहते थे।बाद में इसे धोपाप कहा जाने लगा। धोपाप गोमती किनारे स्थित बहुत ही दिव्य स्थल है। कहा जाता है कि जब प्रभु राम रावण का वध और लंका विजय कर अयोध्या लौट रहे थे तो यहीं गोमती तट पर प्रायश्चित स्वरूप स्नान किया था।रावण ब्राह्मण था और ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए मुनि वशिष्ठ ने ही राम को स्नान करने के लिए कहा था। क्योंकि राम ने यहां ब्रह्महत्या का पाप धोया इसलिए इस स्थल को धोपाप कहा जाने लगा।
लोगों का विश्वास है कि अनेक पवित्र अवसरों पर यहां स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं,विशेष रूप से दशहरा के दिन। जेठ नहान पर यहां बहुत बड़ा मेला लगता है और दूर दूर से लोग स्नान करने आते हैं। गंगा दशहरा और चैत रामनवमी को स्नान करना भी पवित्र माना जाता है। यहां ऊंचाई पर भगवान राम का भव्य मंदिर है,जहां तक जाने के लिए दो ओर से चौड़ी सीढियां बनी हैं। एक सीढ़ी सीधे नदी के घाट से आती है और लोग स्नान करके मंदिर दर्शन के लिए उसी ओर से आते हैं।
रिपोट पवन विश्वकर्मा
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