समाजवादी पार्टी भाजपा के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार, निषाद समाज के युवा प्रत्याशी पर इंडिया गठबंधन का दांव
निषाद समाज के युवा प्रत्याशी पर इंडिया गठबंधन का दांव, मतदाताओं की मजबूती के सहारे लोकसभा फतह करने की बनी रणनीति, बीते लोकसभा व विधानसभा चुनाव में जीत के नजदीक पहुंचकर हार गए समाजवादी सुल्तानपुर में 25 मई को लोकसभा चुनाव होना तय हुआ है। समाजवादी पार्टी ने यहां पैराशूट कंडीडेट के रूप में अंबेडकरनगर के भीम निषाद को प्रत्याशी बनाया है।
विशेष संवाददाता:
वे 2012 में सपा से बागी होकर जलालपुर से चुनाव लड़े उन्हें 30 से अधिक वोट मिले थे। वही सुल्तानपुर में 1.15 लाख निषाद वोटों के बलबूते सपा ने भीम निषाद पर जो दांव लगाया है उससे सवाल उठ रहा कि क्या उन्हें भाजपा के लिए डमी कंडीडेट के रूप में उतारा गया है।
..18 वीं लोकसभा चुनाव का बिल्कुल बज चुका है छठवें चरण में 25 मई को सुल्तानपुर की जनता अपने नए सांसद का चुनाव करेगी आचार संहिता लगने के साथ ही जिला प्रशासन चुनाव के पूर्व की तैयारी में जुट गया है। जिला अधिकारी के निर्देश पर जोनल व सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती हो चुकी है उड़ानदस्तों ने अपना काम शुरू कर दिया है । पार्टी व पदाधिकारियो के साथ बैठक संपन्न हो चुकी है यह आगे भी चलती रहेगी बात करें राजनीतिक दलों की तैयारी की तो सूबे के उद्योग मंत्री व कलस्टर इंचार्ज नंद गोपाल नंदी जिला संयोजक जगजीत सिंह छन्गू जिला अध्यक्ष आर ए वर्मा के साथ चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं । जिला कार्यकारिणी फ्रंटल संगठनों मंडल पदाधिकारी बूथ मैनेजमेंट व पन्ना प्रमुख के साथ-साथ आरएसएस की देखरेख में संघ के प्रशिक्षण प्राप्त हजारों स्वयंसेवकों ने अपना काम शुरू कर दिया है ।
सोशल मीडिया व नमो ऐप पर आईटी सेल द्वारा भेजे जा रहे कंटेंट को हर मोबाइल के जरिए मतदाता तक पहुंचाने का काम शुरू हो चुका है । सैकड़ो करोड़ खर्च कर मीडिया में मोदी की गारंटी के नाम से निरमा वाशिंग पाउडर जैसे विज्ञापन भी चलाए जा रहे हैं । इन्हीं के दम पर भाजपा के शीर्ष नेता से लेकर कार्यकर्ता तक 400 पार का हल्ला किये पड़े है। बात करें विपक्षी दलों की इस बार इंडिया गठबंधन के नाम से कई दलों का संगठन तैयार है । जिले की सीट गठबंधन के समाजवादी पार्टी के हिस्से गई हुई है । सपा मुखिया अखिलेश यादव भाजपा के धार्मिक राजनीति की काट के लिए जातियों का अस्त्र लेकर मैदान में खड़े हैं । पिछड़े दलित व अल्पसंख्यकों को एक मंच पर लाकर वह भाजपा के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार है । वहीं कांग्रेस का साथ मिलने से उन्हें राजनीतिक मजबूती का एहसास हो रहा है । सोशल इंजीनियरिंग की तर्ज पर जिले के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद उन्होंने अपने प्रदेश सचिव व सुल्तानपुर के प्रभारी रहे भीम निषाद को सुल्तानपुर फतह करने के लिए उतार दिया है । वैसे तो भीम निषाद आजमगढ़ के रहने वाले हैं लेकिन उनका राजनीतिक क्षेत्र गोरखपुर से लेकर सुल्तानपुर तक रहा है । निषाद समाज के लिए उनका संघर्ष कई बार सुर्खियों में रहा है उनके द्वारा बनाई गई एकलव्य सेना के पदाधिकारी पूर्वांचल के हर जिले में मौजूद है । जिले की लगभग डेढ़ लाख की आबादी का निषाद समाज भीम निषाद के टिकट मिलने के बाद उत्साहित नजर आ रहा है । आजादी के बाद पहली बार होगा किसी दल ने निषाद समाज के नेता पर अपना दांव लगाया है। जातिगत गठजोड़ की बात करे तो जिले में यादव और निषाद मिलकर लगभग सवा तीन लाख मतदाताओं की संख्या पहुंच रही है ।
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राजनीतिक जानकार भीम निषाद की ठोस शुरुआत की बात तो कर रहे हैं वहीं उनका मानना है इस बार लोकसभा का संघर्ष पिछले बार की तरह कांटे का है भाजपा की राह इस बार आसान नहीं है । टिकट वितरण में जरा सी चूक भाजपा की एक सीट कम कर सकती है । कम से कम बीते विधानसभा के चुनाव तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं । यहां लगभग सवा चार लाख के करीब अनुसूचित वर्ग के मतदाता है । इनका रुख तय करेगा की लोकसभा का सांसद कौन होगा सपा मुखिया अखिलेश यादव को पता है दलित मुस्लिम और पिछड़े का गठजोड़ यदि 50% से ऊपर बढ़ा तो निश्चित तौर पर उनके विजय रथ को कोई उत्तर प्रदेश में रोक नहीं पाएगा । बीते विधानसभा चुनाव में इसौली विधानसभा के परिणाम में सपा और बसपा के बीच का अंतर सिर्फ ढाई सौ का है वही सुल्तानपुर विधानसभा में भाजपा और सपा के बीच का अंतर मात्र एक हजार के करीब है । जबकि इन दोनों विधानसभाओं में निषाद समाज के लगभग 20 हजार मतदाताओं ने बहुतायत में भाजपा को वोट दिया था । बात करें लंभुआ विधानसभा की तो सपा और भाजपा के बीच मात्र साढ़े सात हजार का अंतर था यहां भी निषाद समाज के लगभग सात हजार वोटरो ने भाजपा को वोट किया था । सदर व कादीपुर विधानसभा में निषाद समाज की खासी आबादी है जिसने वहां भाजपा की नैया पार कराई थी । विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बूथवार समीक्षा में यह बातें साफ तौर पर नजर आती है । कुल मिलाकर भाजपा और सपा के बीच विधानसभा मे निषाद ही गेम चेंजर रहा है पर इस बार गेम चेंजर की बारी दलित समाज की है लगभग सवा चार लाख मतदाताओं वाला दलित वर्ग इस बार लोकसभा सुल्तानपुर के भविष्य का फैसला करेगा क्योंकि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य कायस्थ व कुर्मी बिरादरी बहुतायत में भाजपा के साथ खड़ी है । वही गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिजनों पर हो रही कार्य वाही का असर जिले के प्रजापति समाज पर है यही नहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान भी कुछ वर्गों पर असर डालकर चल रहे हैं । आगामी डेढ़ माह में परिस्थितियों क्या बदलेंगी यह भविष्य के गर्भ में है पर वर्तमान में लोकसभा चुनाव में सुलतानपुर सीट पर भाजपा की राह आसान नहीं है!
जिले के नेताओं व सांसद के बीच सीट को लेकर खींचतान
भाजपा में टिकट को लेकर लगभग डेढ़ दर्जन दावेदार नजर आ रहे हैं वर्तमान सांसद मेनका संजय गांधी की कार्यशैली से जहां जनता खुश नजर आ रही है वही पार्टी में अपनी सीट तलाश रहे नेता अंदरखाने नाराज है वह नहीं चाहते मेनका गांधी दोबारा सुल्तानपुर से टिकट पाए क्योंकि जिले की जनता में मेंनका संजय गांधी अपनी ईमानदार छवि का संदेश देने में अभी तक सफल रही है उनके रहते भाजपा के अन्य नेता जो भ्रष्टाचार की ताक में रहते हैं उनकी दाल नहीं गली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राय व जिले के संगठन की रिपोर्ट के आधार पर भाजपा का प्रत्याशी मैदान में आना है जिले की जनता भाजपा के घोषित होने वाले प्रत्याशियों की लिस्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही है ।
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