मुख्यमंत्री की बैठक में दिशा-निर्देश

नगरीय क्षेत्रों में यह देखने को मिल रहा है कि नाबालिग बच्चे ई-रिक्शा चला रहे हैं। इस पर प्रभावी अंकुश लगाएं। साथ ही, सभी ई-रिक्शा ड्राइवर का वैरीफिकेशन अवश्य कराएं।

RTO ऑफिस को बिचौलियों से पूर्णतः मुक्त रखें, इसके लिए समय-समय पर रैंडम चेकिंग अभियान चलाएं। ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, ट्रैफिक के सुचारु संचालन के लिए प्रदेश में पर्याप्त मैनपावर उपलब्ध है। आवश्यकता पड़ने पर सिविल पुलिस, PRD और होमगार्ड्स के जवानों को ट्रेनिंग देकर ट्रैफिक प्रबन्धन को बेहतर बनाएं। 

अस्पतालों, स्कूलों एवं मुख्य बाजारों के बाहर टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर का निर्माण कराया जाए।

 एक्सप्रेस-वे एवं हाइवे पर क्रेन, पेट्रोलिंग वाहन और एम्बुलेंस की संख्या बढ़ायी जाए।

प्रदेश में NHAI की 93 सड़कें हैं, इनमें से सिर्फ चार सड़कों पर कैमरे लगे हैं, शेष सड़कों पर भी कैमरे स्थापित कराएं। अक्सर यह देखा गया है कि सड़क पार करते समय भी बहुत सी दुर्घटनाएं हो जाती हैं, इसके दृष्टिगत NHAI की बहुत सी सड़कों पर फुट ओवरब्रिज की आवश्यकता है, स्थानों को चिह्नित कर फुट ओवरब्रिज का भी निर्माण कराया जाए। प्रदेश के सभी प्रमुख मार्गों पर सड़क सुरक्षा से संबंधित साइनेज अवश्य लगाए जाएं।

 एक्सप्रेस-वे एवं हाइवे के किनारे शराब की दुकानें बिल्कुल न हो। अक्सर यह देखा गया है कि शराब की दुकानों के साइनेज बहुत बड़े होते हैं, इन्हें छोटा किया जाए। 

बिना परमिट की बसें सड़कों पर न चलने पाएं। डग्गामार वाहनों एवं ओवरलोडेड ट्रकों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करें। दूसरे प्रदेश से आने वाले बिना परमिट के वाहनों को बॉर्डर पर रोकें। ट्रासंपोर्ट एसोसिएशन एवं व्हीकल एसोसिएशन से संवाद स्थापित कर यह सुनिश्चित कराएं कि लम्बी दूरी के वाहनों पर दो ड्राइवर हों।

 ओवर स्पीडिंग, ड्रंकन ड्राइविंग, गलत साइड पर गाड़ी चलाना, जम्पिंग रेड लाइट एवं मोबाइल फोन का उपयोग सड़क दुर्घटना घटित होने के मुख्य कारक हैं। इसके लिए लोगों में जागरूकता सृजित करने की आवश्यकता है। 

बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग अपने स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों को आयोजित कर जागरूकता सृजित करें। विद्यालयों के पाठ्यक्रम में ट्रैफिक के नियमों को जोड़ा जाए।

 सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय बनाकर सामूहिक प्रयासों से सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करें।

प्रदेश के सभी मार्गों पर ब्लैक स्पॉट को चिह्नित कर आवश्यक कदम उठाए जाएं। 

सभी एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ फूड प्लाजा की तरह अस्पताल की व्यवस्था करें। साथ ही, सभी मंडल मुख्यालयों के अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर, एम्बुलेंस एवं ट्रेंड स्टाफ की तैनाती भी सुनिश्चित की जाए।

 आज जनपद लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उन्होंने प्रदेश में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि जनपद स्तर पर प्रत्येक माह एवं मंडल स्तर पर त्रैमासिक मंडलीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक अनिवार्य रूप से आयोजित की जाए। प्रदेश के 06 मंडलों-अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, आजमगढ़, सहारनपुर एवं आगरा में पिछले वर्ष सिर्फ एक ही बैठक हुई है, इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। 

बैठक के दौरान संबंधित विभागों के मंत्री, शासन स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर एवं पुलिस अधीक्षक वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।

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